preparation of potassium ferric oxalate.K₃[Fe(C₂O₄)₃] क्रिस्टल के निर्माण की स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया हिंदी में — रसायन, विधि, सावधानियाँ, सीमित अभिकारक की पहचान, और अंतिम क्रिस्टल द्रव्यमान की गणना। प्रयोग को आसान बनाएं!
preparation of potassium ferric oxalate
प्रयोग का शीर्षक:
K₃[Fe(C₂O₄)₃] का निर्माण (Preparation of Potassium Ferric Oxalate)
उद्देश्य:
फेरिक आयन (Fe³⁺) तथा ऑक्सालेट आयन (C₂O₄²⁻) के बीच प्रतिक्रिया द्वारा पोटेशियम ट्राइस-ऑक्सालेट फेरिक कॉम्प्लेक्स (K₃[Fe(C₂O₄)₃]) का निर्माण करना।
आवश्यक रसायन:
✅ फेरिक अमोनियम सल्फेट (FeNH₄(SO₄)₂·12H₂O)
✅ पोटेशियम ऑक्सालेट (K₂C₂O₄·H₂O)
✅ ऑक्सालिक एसिड (H₂C₂O₄·2H₂O)
✅ डिस्टिल्ड वॉटर
✅ बर्फ के टुकड़े
आवश्यक उपकरण:
✅ बकर (Beaker)
✅ स्टिरर रॉड
✅ फ़नल और फ़िल्टर पेपर
✅ हीटिंग प्लेट या बर्नर
✅ मापक सिलेंडर
✅ ड्रॉपर
प्रयोग की विधि (विस्तार से):
1️⃣ उपकरणों की तैयारी:
-
प्रयोग के सभी उपकरण (बकर, स्टिरर रॉड, फ़नल, फ़िल्टर पेपर) को अच्छी तरह साफ करें।
-
बर्फ के टुकड़े तैयार रखें, ताकि घोल को ठंडा किया जा सके।
2️⃣ फेरिक अमोनियम सल्फेट का घोल तैयार करना:
-
एक साफ बकर में 2.0 ग्राम फेरिक अमोनियम सल्फेट लें।
-
इसमें 25 मि.ली. डिस्टिल्ड वॉटर डालें।
-
घोल को धीमी आँच पर हल्का गर्म करें, ताकि यह पूरी तरह घुल जाए।
-
घोल को चमकदार भूरा (हल्का पीला) रंग का होना चाहिए।
3️⃣ ऑक्सालिक एसिड का घोल तैयार करना:
-
एक अलग बकर में 1.0 ग्राम ऑक्सालिक एसिड लें।
-
इसमें 10 मि.ली. गरम डिस्टिल्ड वॉटर डालें और अच्छी तरह घोलें।
-
फिर इस घोल को ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
4️⃣ घोलों का मिश्रण:
-
ऑक्सालिक एसिड का घोल धीरे-धीरे फेरिक अमोनियम सल्फेट के घोल में डालें।
-
मिलाते समय लगातार स्टिरर रॉड से घोल को हिलाते रहें।
-
मिश्रण को 50-60°C तक हल्का गर्म करें।
-
घोल का रंग हल्का पीला-हरा हो जाएगा।
5️⃣ पोटेशियम ऑक्सालेट का घोल बनाना और मिलाना:
-
एक अन्य बकर में 2.0 ग्राम पोटेशियम ऑक्सालेट लें।
-
इसमें 15 मि.ली. डिस्टिल्ड वॉटर डालकर अच्छी तरह घोलें।
-
यह घोल धीरे-धीरे ऊपर तैयार मिश्रण में डालें।
-
घोल को लगातार हिलाते रहें और तापमान 60°C से ऊपर न जाने दें।
-
मिश्रण का रंग हरा हो जाएगा — यह जटिल (complex) बनने का संकेत है।
6️⃣ क्रिस्टलन (क्रिस्टल बनाने की प्रक्रिया):
-
मिश्रण को बर्फ पर रखें, ताकि यह धीरे-धीरे ठंडा हो जाए।
-
लगभग 15-20 मिनट के बाद हरे रंग के क्रिस्टल बनने लगेंगे।
7️⃣ क्रिस्टल का पृथक्करण (फिल्ट्रेशन):
-
एक फ़नल में फ़िल्टर पेपर लगाएँ।
-
मिश्रण को फ़िल्टर करें और क्रिस्टल को फ़िल्टर पेपर पर इकट्ठा करें।
-
डिस्टिल्ड वॉटर से क्रिस्टल को 2-3 बार धो लें, ताकि अशुद्धियाँ निकल जाएँ।
8️⃣ क्रिस्टल का सुखाना:
-
प्राप्त हरे क्रिस्टल को फिल्टर पेपर पर फैलाकर कमरे के तापमान पर (छाया में) सुखा लें।
-
ये क्रिस्टल ही K₃[Fe(C₂O₄)₃] हैं।
1️⃣ सीमित अभिकारक (Limiting Reagent) का निर्धारण
✅ प्रमुख समीकरण:
फेरिक आयन (Fe³⁺) और ऑक्सालेट आयन (C₂O₄²⁻) 1:3 के अनुपात में प्रतिक्रिया करते हैं।
2️⃣ मोलर द्रव्यमान
-
फेरिक अमोनियम सल्फेट (FeNH₄(SO₄)₂·12H₂O)
👉 मोलर द्रव्यमान = 482 g/mol -
पोटेशियम ऑक्सालेट (K₂C₂O₄·H₂O)
👉 मोलर द्रव्यमान = 184 g/mol -
उत्पाद (K₃[Fe(C₂O₄)₃])
👉 मोलर द्रव्यमान = 491 g/mol
3️⃣ मोल की गणना
मान लीजिए आपने लिया:
-
फेरिक अमोनियम सल्फेट = 2.0 ग्राम
-
पोटेशियम ऑक्सालेट = 2.0 ग्राम
✅ फेरिक अमोनियम सल्फेट के मोल:
✅ पोटेशियम ऑक्सालेट के मोल:
4️⃣ सीमित अभिकारक कौन?
-
फ़ेरिक अमोनियम सल्फेट से मिलने वाले Fe³⁺ मोल = 0.0041 mol
-
पोटेशियम ऑक्सालेट से मिलने वाले ऑक्सालेट आयन = 0.0109 mol
प्रतिक्रिया में Fe³⁺ की ज़रूरत =
जो कि उपलब्ध 0.0041 mol से कम है, यानी ऑक्सालेट पर्याप्त है।
इसलिए, सीमित अभिकारक Fe³⁺ है।
5️⃣ उत्पाद का सैद्धांतिक द्रव्यमान (Theoretical Mass)
✅ चूँकि Fe³⁺ 0.0041 mol है और उसी के बराबर मोल complex बनेगा:
6️⃣ प्राप्त क्रिस्टल का द्रव्यमान
-
प्रयोग के दौरान कभी-कभी yield (प्राप्ति) 100% नहीं होती।
-
मान लीजिए प्रयोग का yield 90% है।
-
तब प्राप्त क्रिस्टल का द्रव्यमान:
🚀 निष्कर्ष (Final Answer)
👉 यदि प्रयोग में सभी steps सही हुए और yield लगभग 90% रहा, तो
करीब 1.8 ग्राम K₃[Fe(C₂O₄)₃] के हरे क्रिस्टल प्राप्त होंगे।
सावधानियाँ (Precautions):
⚠️ रसायनों को सही मात्रा में और सावधानीपूर्वक मिलाएँ।
⚠️ घोल को ज़्यादा गर्म न करें — 60°C से अधिक न बढ़े।
⚠️ क्रिस्टल को धूप में न सुखाएँ।
⚠️ प्रयोग करते समय दस्ताने और चश्मा पहनें।
BSc 2nd Year Chemistry Major 1 Important Questions 2025 —
Special Offer
“नीम के पत्तों में छिपा है एंटीबैक्टीरियल गुणों का राज!” 🌿
क्या आप जानते हैं कि नीम (Azadirachta indica) के पत्ते न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं, बल्कि बैक्टीरिया को भी मात देने की ताकत रखते हैं?
👩🔬 यह शोध, नीम के पत्तों से प्राप्त यौगिकों के प्रभावी एंटीबैक्टीरियल गुणों की गहरी जानकारी प्रदान करता है।
Dissertation Topic: “Neem (Azadirachta indica) के पत्तों से प्राप्त यौगिकों का एंटीबैक्टीरियल गुणों के लिए विश्लेषण”
📊 यह शोध न केवल रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नई जानकारी प्रस्तुत करता है, बल्कि प्राकृतिक उपचारों को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ जोड़ता है।
🌱 क्या आप भी नीम के गुणों पर आधारित नये उपचारों में रुचि रखते हैं?
यह Dissertation आपके ज्ञान को नई दिशा दे सकता है।