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what is electrophile and nucleophile

what is electrophile and nucleophile.न्यूक्लियोफाइल (nucleophile) और इलेक्ट्रोफाइल (electrophile) रसायन विज्ञान में अभिक्रिया के मुख्य घटक होते हैं। न्यूक्लियोफाइल वे अणु या आयन होते हैं जो इलेक्ट्रॉनों की अधिकता के कारण इलेक्ट्रोन-घटकों से आकर्षित होते हैं, जबकि इलेक्ट्रोफाइल वे अणु या आयन होते हैं जो इलेक्ट्रॉनों की कमी के कारण इलेक्ट्रॉनों की अधिकता वाले न्यूक्लियोफाइल से आकर्षित होते हैं। ये दोनों विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन और इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन।

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परिचय

रसायन विज्ञान में, संयोजन अभिक्रियाएं (combination reactions) ऐसे अभिक्रियाएं होती हैं जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक नया यौगिक बनाते हैं। न्यूक्लियोफाइल, इलेक्ट्रोफाइल, और मुक्त कण रासायनिक अभिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए, हम इनकी विस्तार से चर्चा करते हैं।

न्यूक्लियोफाइल

न्यूक्लियोफाइल (nucleophile) वे अणु या आयन होते हैं जो इलेक्ट्रॉनों की अधिकता के कारण इलेक्ट्रोन-घटकों (electron-deficient) से आकर्षित होते हैं। ये आसानी से इलेक्ट्रोफाइल के साथ अभिक्रिया करते हैं।

उदाहरण: न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया

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न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन (Nucleophilic Substitution) एक आम रासायनिक अभिक्रिया है जहाँ न्यूक्लियोफाइल एक अणु के इलेक्ट्रोफाइलिक साइट पर हमला करता है और एक समूह को प्रतिस्थापित करता है।

SN2 अभिक्रिया:

R-X+NuR-Nu+X\text{R-X} + \text{Nu}^- \rightarrow \text{R-Nu} + \text{X}^-

 

जहां R-X एक हलोजनल्केन है, और Nu^- न्यूक्लियोफाइल है। उदाहरण के लिए, मेथिल ब्रोमाइड (CH3Br) और हाइड्रॉक्साइड आयन (OH^-) के बीच अभिक्रिया:

CH3Br+OHCH3OH+Br\text{CH}_3\text{Br} + \text{OH}^- \rightarrow \text{CH}_3\text{OH} + \text{Br}^-

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इलेक्ट्रोफाइल

इलेक्ट्रोफाइल (electrophile) वे अणु या आयन होते हैं जो इलेक्ट्रॉनों की कमी के कारण इलेक्ट्रॉनों की अधिकता वाले न्यूक्लियोफाइल से आकर्षित होते हैं।

उदाहरण: इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया

इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन (Electrophilic Substitution) एक आम रासायनिक अभिक्रिया है जहाँ इलेक्ट्रोफाइल एक अणु के न्यूक्लियोफिलिक साइट पर हमला करता है और एक समूह को प्रतिस्थापित करता है।

एरेन में इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन: बेंजीन और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2^+) के बीच अभिक्रिया:

C6H6+NO2+C6H5NO2+H+\text{C}_6\text{H}_6 + \text{NO}_2^+ \rightarrow \text{C}_6\text{H}_5\text{NO}_2 + \text{H}^+

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मुक्त कण

मुक्त कण (free radicals) वे अणु या आयन होते हैं जिनके पास अकेले इलेक्ट्रॉन होते हैं। ये अत्यधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं और स्थिरता पाने के लिए अन्य अणुओं के साथ तेजी से अभिक्रिया करते हैं।

उदाहरण: मुक्त कण योजक अभिक्रिया

मुक्त कण योजक (Free Radical Addition) अभिक्रिया में एक मुक्त कण अल्कीन या अल्काइन में जुड़कर एक नया यौगिक बनाता है।

एथीन पर क्लोरीन का मुक्त कण योजक:

C2H4+Cl2C2H4Cl2\text{C}_2\text{H}_4 + \text{Cl}_2 \rightarrow \text{C}_2\text{H}_4\text{Cl}_2

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चार्ट और डाटा

अभिक्रिया प्रकार अभिकर्मक उत्पाद अभिक्रिया
न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन (SN2) CH3Br + OH^- CH3OH + Br^-  

CH3Br+OHCH3OH+Br\text{CH}_3\text{Br} + \text{OH}^- \rightarrow \text{CH}_3\text{OH} + \text{Br}^- 

इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन C6H6 + NO2^+ C6H5NO2 + H^+  

C6H6+NO2+C6H5NO2+H+\text{C}_6\text{H}_6 + \text{NO}_2^+ \rightarrow \text{C}_6\text{H}_5\text{NO}_2 + \text{H}^+ 

मुक्त कण योजक C2H4 + Cl2 C2H4Cl2  

C2H4+Cl2C2H4Cl2\text{C}_2\text{H}_4 + \text{Cl}_2 \rightarrow \text{C}_2\text{H}_4\text{Cl}_2

विस्तृत विवरण

न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2)

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SN2 अभिक्रिया एक द्विआण्विक अभिक्रिया होती है, जिसका तात्पर्य है कि इसकी दर प्रतिक्रिया अणु और न्यूक्लियोफाइल दोनों की सांद्रता पर निर्भर करती है। SN2 अभिक्रिया एक ही चरण में होती है और इसमें संक्रमण अवस्था शामिल होती है।

SN2 की प्रक्रिया:

  1. न्यूक्लियोफाइल इलेक्ट्रोफाइलिक कार्बन पर पीछे से हमला करता है।
  2. संक्रमण अवस्था में, कार्बन के चारों ओर पाँच अणु होते हैं।
  3. पीछे का समूह (लीविंग ग्रुप) निकल जाता है और नया उत्पाद बनता है।

इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया

इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन अभिक्रिया विशेष रूप से एरेनिक यौगिकों में आम होती है, जैसे कि बेंजीन। इस प्रक्रिया में, बेंजीन के एक हाइड्रोजन परमाणु को इलेक्ट्रोफाइल द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है।

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एरेन में प्रक्रिया:

  1. बेंजीन का एक इलेक्ट्रॉन बादल इलेक्ट्रोफाइल से बातचीत करता है।
  2. इलेक्ट्रोफाइल बेंजीन के साथ मिलकर एक इंटीर्मीडिएट बनाता है।
  3. हाइड्रोजन आयन निकलता है और स्थिर उत्पाद बनता है।

मुक्त कण योजक अभिक्रिया

मुक्त कण योजक अभिक्रिया मुक्त कणों की श्रृंखला अभिक्रिया होती है जिसमें तीन मुख्य चरण होते हैं: शुरुआत, प्रसार, और समाप्ति।

एथीन पर क्लोरीन का योजक:

  1. शुरुआत: UV प्रकाश के प्रभाव से Cl2 के अणु में क्लोरीन मुक्त कण बनते हैं।
    Cl2hv2Cl\text{Cl}_2 \xrightarrow{hv} 2\text{Cl}^\cdot
     

  2. प्रसार: क्लोरीन मुक्त कण एथीन के साथ अभिक्रिया करता है, और एक नया मुक्त कण बनता है।
    Cl+C2H4C2H4Cl\text{Cl}^\cdot + \text{C}_2\text{H}_4 \rightarrow \text{C}_2\text{H}_4\text{Cl}^\cdot
     

     

    C2H4Cl+Cl2C2H4Cl2+Cl\text{C}_2\text{H}_4\text{Cl}^\cdot + \text{Cl}_2 \rightarrow \text{C}_2\text{H}_4\text{Cl}_2 + \text{Cl}^\cdot 

  3. समाप्ति: दो मुक्त कण आपस में मिलकर स्थिर यौगिक बनाते हैं।
    2ClCl22\text{Cl}^\cdot \rightarrow \text{Cl}_2
     

     

    C2H4Cl+ClC2H4Cl2\text{C}_2\text{H}_4\text{Cl}^\cdot + \text{Cl}^\cdot \rightarrow \text{C}_2\text{H}_4\text{Cl}_2 

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निष्कर्ष

न्यूक्लियोफाइल, इलेक्ट्रोफाइल, और मुक्त कण रासायनिक अभिक्रियाओं के महत्वपूर्ण घटक हैं। न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन, इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन, और मुक्त कण योजक अभिक्रियाएं इन घटकों की प्रतिक्रियाओं के बेहतरीन उदाहरण हैं। ये अभिक्रियाएं विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं और औद्योगिक अनुप्रयोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

addition reactions are undergone by

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