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addition reactions are undergone by 2 year

addition reactions are undergone by 2 year.संयोजन अभिक्रियाएँ कार्बनिक रसायन विज्ञान में महत्वपूर्ण होती हैं जिनमें न्यूक्लियोफाइल, इलेक्ट्रोफाइल और मुक्त कणों के संयोजन से रासायनिक संश्लेषण होता है। इन अभिक्रियाओं में रेजियो-चयनात्मकता और रासायनिक-चयनात्मकता के माध्यम से अभिविन्यास और प्रतिक्रियाशीलता का अध्ययन किया जाता है।

Table of Contents

addition reactions are undergone by 2 year

संयोजन अभिक्रियाएँ (Addition Reactions) का परिचय

संयोजन अभिक्रियाएँ (Addition Reactions) एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक (reactants) आपस में मिलकर एक एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं। ये अभिक्रियाएँ आमतौर पर यौगिकों में पाई जाने वाली डबल या ट्रिपल बॉन्ड को तोड़कर नए बांड बनाने के द्वारा होती हैं।

न्यूक्लियोफाइल, इलेक्ट्रोफाइल और मुक्त कणों (Free Radicals) के संयोजन अभिक्रियाओं में अंतर

1. न्यूक्लियोफिलिक संयोजन (Nucleophilic Addition)

न्यूक्लियोफिलिक संयोजन अभिक्रिया में, न्यूक्लियोफाइल (Nucleophile) एक इलेक्ट्रॉन-समृद्ध प्रजाति होती है जो एक इलेक्ट्रॉन-गरीब साइट (कार्बोकैटायन या इलेक्ट्रोफिलिक केंद्र) पर आक्रमण करती है। यह प्रतिक्रिया सामान्यतः कार्बोनाइल यौगिकों (Aldehydes और Ketones) के साथ होती है।

उदाहरण: एसीटाल्डिहाइड (Acetaldehyde) का साइनाइड आयन (CN⁻) के साथ संयोजन:

 

CH3CHO+CNCH3CH(OH)CN\text{CH}_3\text{CHO} + \text{CN}^- \rightarrow \text{CH}_3\text{CH}(OH)\text{CN}

 

2. इलेक्ट्रोफिलिक संयोजन (Electrophilic Addition)

इलेक्ट्रोफिलिक संयोजन अभिक्रिया में, इलेक्ट्रोफाइल (Electrophile) एक इलेक्ट्रॉन-गरीब प्रजाति होती है जो एक इलेक्ट्रॉन-समृद्ध साइट (जैसे डबल बॉन्ड) पर आक्रमण करती है। यह प्रतिक्रिया सामान्यतः एल्केन्स और एल्काइन्स के साथ होती है।

उदाहरण: एथिलीन (Ethylene) का ब्रोमीन (Br₂) के साथ संयोजन:

 

CH2=CH2+Br2CH2Br-CH2Br\text{CH}_2= \text{CH}_2 + \text{Br}_2 \rightarrow \text{CH}_2\text{Br-CH}_2\text{Br}

 

3. मुक्त कण संयोजन (Free Radical Addition)

मुक्त कण संयोजन अभिक्रिया में, मुक्त कण (Free Radical) यौगिक के डबल या ट्रिपल बॉन्ड पर आक्रमण करता है। यह प्रक्रिया रैडिकल उत्प्रेरण के माध्यम से होती है।

उदाहरण: एथिलीन (Ethylene) का ब्रोमोमिथेन (HBr) के साथ पेरोक्साइड की उपस्थिति में संयोजन:

CH2=CH2+HBrPeroxideCH3CH2Br\text{CH}_2=\text{CH}_2 + \text{HBr} \xrightarrow{\text{Peroxide}} \text{CH}_3\text{CH}_2\text{Br}

 

सारणीबद्ध विवरण

प्रकार परिभाषा उदाहरण रासायनिक अभिक्रिया
न्यूक्लियोफिलिक संयोजन न्यूक्लियोफाइल इलेक्ट्रॉन-गरीब साइट पर आक्रमण करता है एसीटाल्डिहाइड + साइनाइड आयन  

CH3CHO+CNCH3CH(OH)CN\text{CH}_3\text{CHO} + \text{CN}^- \rightarrow \text{CH}_3\text{CH}(OH)\text{CN} 

इलेक्ट्रोफिलिक संयोजन इलेक्ट्रोफाइल इलेक्ट्रॉन-समृद्ध साइट पर आक्रमण करता है एथिलीन + ब्रोमीन  

CH2=CH2+Br2CH2Br-CH2Br\text{CH}_2= \text{CH}_2 + \text{Br}_2 \rightarrow \text{CH}_2\text{Br-CH}_2\text{Br} 

मुक्त कण संयोजन मुक्त कण डबल/ट्रिपल बॉन्ड पर आक्रमण करता है एथिलीन + हाइड्रोजन ब्रोमाइड (HBr) पेरोक्साइड की उपस्थिति में  

CH2=CH2+HBrPeroxideCH3CH2Br\text{CH}_2=\text{CH}_2 + \text{HBr} \xrightarrow{\text{Peroxide}} \text{CH}_3\text{CH}_2\text{Br} 

विस्तृत उदाहरण और रासायनिक अभिक्रियाएँ

1. न्यूक्लियोफिलिक संयोजन अभिक्रिया

अभिक्रिया: एसीटाल्डिहाइड (Acetaldehyde) का साइनाइड आयन (CN⁻) के साथ संयोजन:

 

CH3CHO+CNCH3CH(OH)CN\text{CH}_3\text{CHO} + \text{CN}^- \rightarrow \text{CH}_3\text{CH}(OH)\text{CN}

 

विवरण:

  1. एसीटाल्डिहाइड में कार्बोनाइल कार्बन इलेक्ट्रॉन-गरीब होता है।
  2. साइनाइड आयन, जो एक न्यूक्लियोफाइल है, कार्बोनाइल कार्बन पर आक्रमण करता है।
  3. उत्पाद 2-हाइड्रॉक्सी-2-मिथाइलप्रोपेनिट्राइल बनता है।

2. इलेक्ट्रोफिलिक संयोजन अभिक्रिया

अभिक्रिया: एथिलीन (Ethylene) का ब्रोमीन (Br₂) के साथ संयोजन:

 

CH2=CH2+Br2CH2Br-CH2Br\text{CH}_2= \text{CH}_2 + \text{Br}_2 \rightarrow \text{CH}_2\text{Br-CH}_2\text{Br}

 

विवरण:

  1. एथिलीन में डबल बॉन्ड इलेक्ट्रॉन-समृद्ध होता है।
  2. ब्रोमीन, जो एक इलेक्ट्रोफाइल है, डबल बॉन्ड पर आक्रमण करता है।
  3. उत्पाद 1,2-डिब्रोमोएथेन बनता है।

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3. मुक्त कण संयोजन अभिक्रिया

अभिक्रिया: एथिलीन (Ethylene) का ब्रोमोमिथेन (HBr) के साथ पेरोक्साइड की उपस्थिति में संयोजन:

संयोजन अभिक्रियाएँ (Addition Reactions) का विस्तृत परिचय

संयोजन अभिक्रियाओं में रेजियो-चयनात्मकता (Regio-Selectivity) और रासायनिक-चयनात्मकता (Chemo-Selectivity)

रेजियो-चयनात्मकता (Regio-Selectivity)

रेजियो-चयनात्मकता उस घटना को संदर्भित करता है जहां एक अभिक्रिया में एक से अधिक संभावित उत्पाद बन सकते हैं, लेकिन एक विशेष उत्पाद प्रमुखता से बनता है। यह चयनात्मकता न्यूक्लियोफाइल या इलेक्ट्रोफाइल के आक्रमण की स्थिति पर निर्भर करती है।

उदाहरण: प्रोपेन (

CH3CH=CH2\text{CH}_3-\text{CH}=\text{CH}_2

) का हाइड्रोजन ब्रोमाइड (HBr) के साथ संयोजन:

CH3CH=CH2+HBrCH3CH(Br)CH3\text{CH}_3-\text{CH}=\text{CH}_2 + \text{HBr} \rightarrow \text{CH}_3-\text{CH}(\text{Br})-\text{CH}_3

इस उदाहरण में, ब्रोमाइन प्राथमिक (1°) कार्बन पर जुड़ता है, जिससे 2-ब्रोमोप्रोपेन बनता है।

रासायनिक-चयनात्मकता (Chemo-Selectivity)

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रासायनिक-चयनात्मकता उस घटना को संदर्भित करता है जहां एक अभिक्रिया में एक से अधिक प्रकार के अभिकर्मक मौजूद होते हैं, लेकिन एक विशेष अभिकर्मक चुनिंदा रूप से प्रतिक्रिया करता है।

उदाहरण: फॉर्मलडिहाइड (

HCHO\text{HCHO}

) और एसीटोन (

CH3COCH3\text{CH}_3\text{COCH}_3

) का साइनाइड आयन (

CN\text{CN}^-

) के साथ संयोजन:

HCHO+CNHOCH2CN\text{HCHO} + \text{CN}^- \rightarrow \text{HOCH}_2\text{CN}

 

इस उदाहरण में, साइनाइड आयन फॉर्मलडिहाइड पर चुनिंदा रूप से आक्रमण करता है, जबकि एसीटोन पर नहीं।

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संयोजन अभिक्रियाओं में अभिविन्यास (Orientation) और प्रतिक्रियाशीलता (Reactivity)

अभिविन्यास (Orientation)

अभिविन्यास का अर्थ है कि किस दिशा में न्यूक्लियोफाइल या इलेक्ट्रोफाइल जुड़ता है। यह मुख्यतः इलेक्ट्रॉनिक और स्थिरता कारकों पर निर्भर करता है।

उदाहरण: 1-ब्यूटीन (

CH3CH2CH=CH2\text{CH}_3-\text{CH}_2-\text{CH}=\text{CH}_2

) का HBr के साथ संयोजन:

CH3CH2CH=CH2+HBrCH3CH2CH(Br)CH3\text{CH}_3-\text{CH}_2-\text{CH}=\text{CH}_2 + \text{HBr} \rightarrow \text{CH}_3-\text{CH}_2-\text{CH}(\text{Br})-\text{CH}_3

प्रतिक्रियाशीलता (Reactivity)

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प्रतिक्रियाशीलता का अर्थ है कि कितनी तेजी से एक अभिक्रिया घटित होती है। यह न्यूक्लियोफाइल या इलेक्ट्रोफाइल की शक्ति और सब्सट्रेट की प्रकृति पर निर्भर करता है।

उदाहरण: एथिलीन (

CH2=CH2\text{CH}_2=\text{CH}_2

) का Br (

Br2\text{Br}_2

) के साथ संयोजन अधिक तेज़ी से होता है जबकि प्रोपीन (

CH3CH=CH2\text{CH}_3-\text{CH}=\text{CH}_2

) के साथ अपेक्षाकृत धीमा होता है।

मार्कोवनीकोव (Markovnikov) और एंटी-मार्कोवनीकोव (Anti-Markovnikov) संयोजन

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मार्कोवनीकोव का नियम (Markovnikov’s Rule)

मार्कोवनीकोव के नियम के अनुसार, जब एक असममित एल्कीन किसी इलेक्ट्रोफिलिक अभिकर्मक के साथ संयोजन करता है, तो इलेक्ट्रोफिल (जैसे H⁺) उस कार्बन से जुड़ता है जिसमें अधिक हाइड्रोजन होते हैं।

उदाहरण: प्रोपेन (

CH3CH=CH2\text{CH}_3-\text{CH}=\text{CH}_2

) का HBr के साथ संयोजन:

 

CH3CH=CH2+HBrCH3CH(Br)CH3\text{CH}_3-\text{CH}=\text{CH}_2 + \text{HBr} \rightarrow \text{CH}_3-\text{CH}(\text{Br})-\text{CH}_3

एंटी-मार्कोवनीकोव का नियम (Anti-Markovnikov’s Rule)

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एंटी-मार्कोवनीकोव के नियम के अनुसार, जब कोई अभिक्रिया मुक्त कण तंत्र द्वारा होती है, तो इलेक्ट्रोफिल उस कार्बन से जुड़ता है जिसमें कम हाइड्रोजन होते हैं।

उदाहरण: प्रोपेन (

CH3CH=CH2\text{CH}_3-\text{CH}=\text{CH}_2

) का HBr के साथ पेरोक्साइड की उपस्थिति में संयोजन:

CH3CH=CH2+HBrPeroxideCH3CH2CH2Br\text{CH}_3-\text{CH}=\text{CH}_2 + \text{HBr} \xrightarrow{\text{Peroxide}} \text{CH}_3-\text{CH}_2-\text{CH}_2\text{Br}

 

निष्कर्ष

संयोजन अभिक्रियाएँ कार्बनिक रसायन विज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण हैं, और इनकी विभिन्न प्रकार की अभिक्रियाओं और उनके तंत्र को समझना आवश्यक है। न्यूक्लियोफिलिक, इलेक्ट्रोफिलिक और मुक्त कण संयोजन अभिक्रियाओं के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से, हम रासायनिक संश्लेषण और यौगिकों के निर्माण में इनकी प्रभावशीलता को समझ सकते हैं।

रेजियो-चयनात्मकता, रासायनिक-चयनात्मकता, अभिविन्यास और प्रतिक्रियाशीलता जैसे कारकों के माध्यम से, इन अभिक्रियाओं की विशिष्टताओं को समझना और उन्हें नियंत्रित करना संभव हो जाता है। मार्कोवनीकोव और एंटी-मार्कोवनीकोव के नियमों के माध्यम से, हम यह समझ सकते हैं कि कैसे विभिन्न परिस्थितियों में अभिक्रियाएँ भिन्न हो सकती हैं।

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aromatic electrophilic substitution reaction

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