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walsh diagram for triatomic molecule

walsh diagram for triatomic molecule.“वॉल्श आरेख त्रिपरमाणवी अणुओं की संरचना और उनकी ऊर्जा के बीच संबंध को दर्शाने वाला ग्राफ है। यह अणुओं की स्थिरावस्था और बांड कोण के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जानें कि वॉल्श आरेख कैसे काम करता है और पानी, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसे त्रिपरमाणवी अणुओं के लिए इसका उपयोग कैसे किया जाता है।

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वॉल्श आरेख क्या है?

वॉल्श आरेख एक प्रकार का ग्राफ होता है जो अणु की संरचना के स्थिरावस्था और ऊर्जा के बीच के संबंध को दर्शाता है। इसका उपयोग मुख्यतः त्रिपरमाणवी (जैसे पानी, H2O) और पंचपरमाणवी (जैसे PCl5) अणुओं की इलेक्ट्रॉनिक संरचना और उनकी स्थिरावस्था की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

त्रिपरमाणवी अणुओं के लिए वॉल्श आरेख

त्रिपरमाणवी अणुओं में तीन परमाणु होते हैं जो एक विशिष्ट ज्यामितीय संरचना बनाते हैं। वॉल्श आरेख के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि किस कोण पर अणु की ऊर्जा न्यूनतम होती है, जो अणु की स्थिरावस्था को दर्शाता है।

उदाहरण: पानी (H2O)

  • पानी के अणु में ऑक्सीजन केंद्र में होता है और दो हाइड्रोजन परमाणु उससे जुड़े होते हैं।
  • वॉल्श आरेख में, X-अक्ष पर H-O-H कोण और Y-अक्ष पर ऊर्जा होती है।
  • जब कोण लगभग 104.5° होता है, तब ऊर्जा न्यूनतम होती है, जो पानी की स्थिरावस्था को दर्शाता है।

त्रिपरमाणवी अणुओं के 10 उदाहरण

  1. पानी (H2O) – ऑक्सीजन के साथ दो हाइड्रोजन परमाणु।
  2. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) – एक कार्बन परमाणु के साथ दो ऑक्सीजन परमाणु।
  3. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) – एक सल्फर परमाणु के साथ दो ऑक्सीजन परमाणु।
  4. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) – एक नाइट्रोजन परमाणु के साथ दो ऑक्सीजन परमाणु।
  5. हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) – एक सल्फर परमाणु के साथ दो हाइड्रोजन परमाणु।
  6. नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) – दो नाइट्रोजन परमाणु के साथ एक ऑक्सीजन परमाणु।
  7. ओजोन (O3) – तीन ऑक्सीजन परमाणु।
  8. कार्बनिल सल्फाइड (COS) – एक कार्बन, एक ऑक्सीजन, और एक सल्फर परमाणु।
  9. हाइड्रोजन सायनाइड (HCN) – एक हाइड्रोजन, एक कार्बन, और एक नाइट्रोजन परमाणु।
  10. डाईहाइड्रोजन ऑक्साइड (D2O) – एक ऑक्सीजन परमाणु के साथ दो ड्यूटेरियम (हाइड्रोजन का एक समस्थानिक) परमाणु।

त्रिपरमाणवी अणुओं के विस्तृत विवरण

  1. पानी (H2O):
    • संरचना: एक ऑक्सीजन परमाणु के साथ दो हाइड्रोजन परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 104.5 डिग्री।
    • विशेषताएँ: यह जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, और इसके बांड कोण के कारण इसकी अनोखी भौतिक गुण होते हैं जैसे उच्च सतह तनाव और ठोस अवस्था में कम घनत्व।
  2. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2):
    • संरचना: एक कार्बन परमाणु के साथ दो ऑक्सीजन परमाणु।
    • बांड कोण: 180 डिग्री (रैखिक संरचना)।
    • विशेषताएँ: यह वायुमंडल में एक महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है और पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण में उपयोग की जाती है।
  3. सल्फर डाइऑक्साइड (SO2):
    • संरचना: एक सल्फर परमाणु के साथ दो ऑक्सीजन परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 119.5 डिग्री।
    • विशेषताएँ: यह एक वायुमंडलीय प्रदूषक है और अम्लीय वर्षा का कारण बन सकता है।
  4. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2):
    • संरचना: एक नाइट्रोजन परमाणु के साथ दो ऑक्सीजन परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 134 डिग्री।
    • विशेषताएँ: यह एक प्रमुख वायु प्रदूषक है और श्वसन समस्याओं का कारण बन सकता है।
  5. हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S):
    • संरचना: एक सल्फर परमाणु के साथ दो हाइड्रोजन परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 92 डिग्री।
    • विशेषताएँ: यह एक विषैली गैस है और इसमें सड़े अंडे जैसी गंध होती है।
  6. नाइट्रस ऑक्साइड (N2O):
    • संरचना: दो नाइट्रोजन परमाणु के साथ एक ऑक्सीजन परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 180 डिग्री (रैखिक संरचना)।
    • विशेषताएँ: इसे हंसाने वाली गैस के रूप में जाना जाता है और इसका उपयोग एनेस्थेटिक के रूप में होता है।
  7. ओजोन (O3):
    • संरचना: तीन ऑक्सीजन परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 116.8 डिग्री।
    • विशेषताएँ: यह वायुमंडल की ऊपरी परत में पाया जाता है और हमें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाता है।
  8. कार्बनिल सल्फाइड (COS):
    • संरचना: एक कार्बन, एक ऑक्सीजन, और एक सल्फर परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 180 डिग्री (रैखिक संरचना)।
    • विशेषताएँ: यह एक स्थिर गैस है और उद्योगों में उपयोग की जाती है।
  9. हाइड्रोजन सायनाइड (HCN):
    • संरचना: एक हाइड्रोजन, एक कार्बन, और एक नाइट्रोजन परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 180 डिग्री (रैखिक संरचना)।
    • विशेषताएँ: यह एक अत्यधिक विषैली गैस है और जैविक युद्ध में उपयोग की जाती है।
  10. डाईहाइड्रोजन ऑक्साइड (D2O):
    • संरचना: एक ऑक्सीजन परमाणु के साथ दो ड्यूटेरियम (हाइड्रोजन का एक समस्थानिक) परमाणु।
    • बांड कोण: लगभग 104.5 डिग्री।
    • विशेषताएँ: इसे भारी पानी कहा जाता है और यह न्यूक्लियर रिएक्टरों में उपयोग किया जाता है।

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