Kathor-mradu Aml-Ksharak Pdf.अम्ल और क्षारक के कठोर और मृदु गुणों पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें। इस पीडीएफ में रासायनिक गुणधर्म, उपयोग और प्रभावों का विश्लेषण शामिल है, जो विज्ञान के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।
Kathor-mradu Aml-Ksharak Pdf
Kathor-mradu Aml-Ksharak Pdf-कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पीडीएफ.1958 में तीन साइंटिस्ट जिनके नाम इस प्रकार हैं |-आर्लैंड,डेविस तथा चैट ने देखा कि प्रत्येक मेटल आयन किसी एक लिगंड के साथ आसानी से बंध बनाता हैं लेकिन दुसरे से नहीं बनाता हैं|अतःमेटल आयन डिफरेंट लिगंड्स के प्रति बंध बनाने में अंतर रखते हैं|इस प्रकार से कठोर अम्ल और कठोर क्षार को वर्गीकृत किया गया हैं |
कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पीडीएफ|उपर दिए कथन के आधार पर मेटल आयन और ligand को विभिन्न भागो में वर्गीकृत किया हैं|जो इस प्रकार से है-
- मेटल-क्लास ‘A’
- मेटल-क्लास ‘B’
- लिगंड्स क्लास ‘A’
- लिगंड्स क्लास ‘B’
मेटल-क्लास ‘A’–
क्षारीय मेटल आयन,क्षारीय मृदा मेटल आयन एवं हाई ऑक्सीडेशन स्टेट में हलके संक्रमण मेटल आयन इस क्लास में रखे गए हैं|ये लिगंड्स को आसानी से ध्रुवित करते हैं|Kathor-mradu Aml-Ksharak Pdf
मेटल-क्लास ‘B’-
इस क्लास में हैवी संक्रमण मेटल आयन और लो ऑक्सीडेशन स्टेट में हलके संक्रमण मेटल आयन इस क्लास में रखे गए हैं|ये लिगंड्स को कठिनाई से ध्रुवित करते हैं|Kathor-mradu Aml-Ksharak Pdf
लिगंड्स क्लास ‘A’-
इस क्लास में ‘A’ मेटल क्लास आयन से आसानी से संयुक्त होने वाले लिगंड्स रखे गए हैं|Kathor-mradu Aml-Ksharak Pdf
लिगंड्स क्लास ‘B’
इस क्लास में ‘B’ मेटल क्लास आयन से आसानी से संयुक्त होने वाले लिगंड्स रखे गए हैं|कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पीडीएफ
पीयरसन
सभी मेटल आयन लूईस क्षारक और लूईस अम्ल होते हैं|पीयरसन के अनुसार ‘A’ क्लास मेटल कठोर अम्ल एवं ‘A’ क्लास लिगंड कठोर क्षारक कहलाते हैं|
इसी प्रकार B क्लास मेटल आयन मृदु अम्ल और B क्लास लिगंड मृदु क्षारक कहलाते हैं|कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पीडीएफ
वे अम्ल क्षारक जो मृदु एवं कठोर क्लास के मध्य लक्षण रखते हैं,बॉर्डर लाइन अम्ल-क्षारक कहलाते हैं|
मृदु अम्ल –
वे लूईस अम्ल जो अपेक्षाकृत आसानी से ध्रुवित हो जाते हैं,मृदु अम्ल कहलाते हैं|जैसे Hg+,Ca+
मुख्य लक्षण|कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पीडीएफ
- इलेक्ट्रान ग्राही एटम का बड़ा आकार
- ये या इनके इलेक्ट्रान ग्राही निम्न + आवेश व् एकाकी इलेक्ट्रान युग्म रखते हैं|
- ये अक्रिय गैस विन्यास नहीं रखते |
- निम्न ध्रुवीयता रखते हैं मतलब किसी लिगंड को कठिनाई से ध्रुवित कर पाते हैं|
- कम एलेक्ट्रों नेगेटिव होते हैं |
- ये कम सक्रीय होते हैं|
क्यूप्रस (Cu+) , Ag+ , Hg2+ , Pd2+ , Au+ , BH3 , Pt2+ , I2 , Br2 आदि।
कठोर अम्ल –
वे लूईस अम्ल जो अपेक्षाकृत कठिनाई से ध्रुवित होते हैं,कठोर अम्ल कहलाते हैं| जैसे -K+,Mg2+
मुख्य लक्षण (मृदु अम्ल से विपरीत)
- इलेक्ट्रान ग्राही एटम का छोटा आकार|
- ये अक्रिय गैस विन्यास रखते |
- ये या इनके इलेक्ट्रान ग्राही उच्च + आवेश रखते हैं|
- ये अधिक सक्रीय धातु होते हैं|
- उच्च ध्रुवीयता रखते हैं,परन्तु स्वयं कठिनाई से ध्रुवित होते हैं|मतलब ये किसी ऋण आयन को आसानी से ध्रुवित कर सकते हैं|
- धातुओ में तुलनात्मक रूप से ये कम विधुत ऋणात्मक रखते हैं,मतलब ये अधिक विधुत धनात्मक धातु होते हैं|
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म्रदु क्षारक-
वे लूईस क्षारक जो अपेक्षाकृत आसानी से ध्रुवित हो जाते हैं,मृदु क्षारक कहलाते हैं|जैसे R2S,RSH.
मुख्य लक्षण|कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पीडीएफ
- इलेक्ट्रान दाता एटम बड़ा आकार रखते हैं|
- ये या इनके इलेक्ट्रान दाता एटम बड़ा रखते हैं|
- ये या इनके इलेक्ट्रान दाता एटम उच्च ऋणआवेश रखते है|
- ये आसानी से ध्रुवित हो जाते हैं|
- अपेक्षाकृत कम विधुत ऋणात्मक अधातु होते हैं|
- ये कम सक्रीय अधातु होते हैं|
कठोर क्षारक
वे लूईस क्षारक जो अपेक्षाकृत कठिनाई से ध्रुवित होते हैं,कठोर क्षारक कहलाते हैं| जैसे H2o ,ROH
मुख्य लक्षण
- इलेक्ट्रान दाता एटम छोटा आकार रखते हैं|
- ये या इनके इलेक्ट्रान दाता एटम निम्न ऋणआवेश रखते है|
- कठिनाई से ध्रुवित होते हैं
- ये अत्यधिक विधुत ऋणात्मक होते हैं|
- ये अत्यधिक क्रियाशील अधातु होते हैं|
कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पियर्सन धारणा
बेर्जीलियस (1796)ने खोजा की नेचर में कुछ मेटल एलेमेंट्स सल्फाइड के फॉर्म में पाए जाते हैं|जबकि कुछ अन्य ऑक्साइड,सल्फेट या सिलिकेट,कार्बोनेट के फॉर्म में पाए जाते हैं|
इन तथ्यों का स्पस्टीकरण करने के लिए पीयरसन ने एक सिधांत प्रस्तुत जिसे कठोर-मृदु अम्ल-क्षारक सिधांत कहते हैं|
इस सिधांत को इस प्रकार समझते हैं|
हार्ड एसिड-सॉफ्ट बेसेस(A)+सॉफ्ट एसिड-हार्ड बेसेस(B) ⇌ हार्ड एसिड-हार्ड बेसेस (C)+सॉफ्ट एसिड-सॉफ्ट-बेसेस
यहाँ (A),(B),(C) तथा (D) साल्ट या काम्प्लेक्स कंपाउंड हैं|स्पस्ट हैं कि हार्ड एसिड हार्ड बेसेस के प्रति और सॉफ्ट एसिड सॉफ्ट बेसेस के प्रति आकर्षित रहते हैं|कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पियर्सन धारणा|
इस आधार पर कह सकते हैं कि सॉफ्ट एसिड-सॉफ्ट-बेसेस और हार्ड एसिड-हार्ड बेसेस उत्पाद स्थाई होते हैं|
जबकि सॉफ्ट एसिड-हार्ड बेसेस और हार्ड एसिड-सॉफ्ट बेसेस उत्पाद अस्थाई होते हैं|कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पियर्सन धारणा|
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कठोर-मृदु अम्ल क्षारक धारणा के कुछ मुख्य उपयोग –
1.काम्प्लेक्स कंपाउंड्स का स्थायित्व
AB निम्न प्रकार बनता हैं|
संकुल A:B तभी स्थाई होगा जब A और B दोनों ही या तो सॉफ्ट हो या हार्ड हो |दोनों में से कोई भी यदि सॉफ्ट तथा दूसरा हार्ड हुआ तो काम्प्लेक्स अस्थाई होगा |कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पियर्सन धारणा|उदाहरण
(a.) समान लिगंड वाले संकुल यौगिको का स्थायित्व
ऐसे काम्प्लेक्स यौगिक जिनमे सेंट्रल मेटल एटम से जुड़े सारे लिगंड्स समान होते हैं| जैसे [AgF2]-,[AgI2]-,[CoF6]3-
(i) Ag+ सॉफ्ट एसिड हैं|I- सॉफ्ट बेसेस हैं |
जबकि F- एक हार्ड-बेसेस हैं|कांसेप्ट के अनुसार सॉफ्ट एसिड-सॉफ्ट बेसेस से संयुक्त होकर स्थायी यौगिक बनाता हैं|
लेकिन सॉफ्ट एसिड-हार्ड बेसेस के साथ संयुक्त होने की प्रवृत्ति नहीं रखता हैं|Kathor-mradu Aml-Ksharak Pearson Awdharanaउदाहरण
[AgI2]- एक स्टेबल काम्प्लेक्स हैं जबकि [AgF2]-नहीं पाया जाता हैं|Kathor-mradu Aml-Ksharak Pearson Awdharana
(ii) Co3+ एक हार्ड एसिड हैं|अतः यह हार्ड बेसेस F- के साथ एक स्थायी काम्प्लेक्स बनाता हैं|यह I- सॉफ्ट बेसेस के साथ अस्थायी काम्प्लेक्स बनायेगा |
इस प्रकार से [CoF6]3- स्थायी हैं|एवं [CoI6]3- अस्थायी काम्प्लेक्स हैं|Kathor-mradu Aml-Ksharak Pearson Awdharana
(iii) Cd2+ एक सॉफ्ट एसिड हैं|NH3 एक हार्ड बेसेस हैं,जबकि CN- एक सॉफ्ट बेसेस हैं|
अतः Cd3+ सेंट्रल मेटल आयन NH3 लिगंड के साथ अनस्टेबल एवं CN- लिगंड के साथ स्टेबल काम्प्लेक्स बनाता हैं|
(b) डिफरेंट लिगंड वाले काम्प्लेक्स यौगिक का स्थायित्व
वे काम्प्लेक्स कंपाउंड होते जिनमे सेंट्रल मेटल एटम से जुड़े लिगंड एक से अधिक प्रकार के होते हैं|जैसे [Co(NH3)5I]2+,[Co(CN)5I]3- आदि |Kathor-mradu Aml-Ksharak Pearson Awdharana
(i) Co3+ एक हार्ड एसिड हैं|NH3 और F- हार्ड बेसेस हैं जबकि I- सॉफ्ट बेसेस हैं |
सिधांत के अनुसार [Co(NH3)5F]2+ काम्प्लेक्स स्थायी होगा जबकि [Co(NH3)5I]2+ काम्प्लेक्स अस्थायी होगा |
(ii) इसी प्रकार [Co(CN)5I]3- काम्प्लेक्स [Co(CN)5F]3- काम्प्लेक्स की तुलना में अधिक स्टेबल हैं|इसका कारण CN- तथा I- लिगंड्स की नेचर समान हैं|ये दोनों ही सॉफ्ट बेसेस हैं|
F- लिगंड तथा CN- लिगंड भिन्न नेचर रखते हैं|यहाँ F- हार्ड तथा सॉफ्ट बेसेस हैं|अतः काम्प्लेक्स [Co(CN)5F]3- अस्थायी हैं|Kathor-mradu Aml-Ksharak Pearson Awdharana
कठोर-मृदु अम्ल क्षारक पीडीएफ
(2.)द्विअपघटन रिएक्शन
हार्ड बेसेस सॉफ्ट एसिड से निर्मित साल्ट तथा हार्ड एसिड सॉफ्ट बेसेस से निर्मित साल्ट आपस में क्रिया करके सॉफ्ट एसिड तथा सॉफ्ट एसिड और हार्ड एसिड हार्ड बेसेस साल्ट बनाते हैं|अतःरिएक्शन तभी होगी जब उत्पाद सॉफ्ट एसिड सॉफ्ट बेसेस या हार्ड एसिड हार्ड बेसेस साल्ट होते हैं|
(3.)उभय द्विदंती लिगंड्स(ambidentate ligands) युक्त काम्प्लेक्स आयन में बंध प्रकृति की व्याखा
इस सिधांत के द्वारा यह स्पस्ट किया जा सकता हैं कि एम्बीडेंटेट लिगंड में कोनसा डोनर एटम सेंट्रल मेटल एटम से कंबाइंड होगा|
इसके अनुसार एम्बीडेंटेट लिगंड का सॉफ्ट बेसेस एटम सॉफ्ट एसिड मेटल आयन से तथा हार्ड बेसेस एटम हार्ड एसिड मेटल एटम से कंबाइंड होने की प्रवत्ति रखेंगे|
(i) एक एम्बीडेंटेट लिगंड SCN- हैं|यह सेंट्रल मेटल एटम से S एटम या N एटम द्वारा जुड़ सकता हैं|Pd2+ एक सॉफ्ट एसिड हैं| SCN- जब Pd2+ से कंबाइंड होता हैं तो SCN- का सॉफ्ट बेसेस एटम S बंध बनाने में भाग हैं|
इसके अपोजिट Co2+ एक बॉर्डर लाइन एसिड हैं परन्तु Pd2+ के तुलना में अधिक हार्ड हैं |अतः SCN- जब Co2+ से कंबाइंड होता हैं,तो SCN- का हार्ड बेसेस एटम N बंध बनाने में भाग लेता हैं|
(4)कैटेलिस्ट के विषाक्त होने की व्याख्या
Pt और Pd कैटेलिस्ट का कार्य करते हैं|ये दोनों सॉफ्ट एसिड हैं|इस सिधांत के अनुसार सॉफ्ट एसिड सॉफ्ट बेसेस के साथ कंबाइंड होते हैं|ये कैटेलिस्ट CO,एल्कीन,फास्फोरस या आर्सेनिक लिगंड्स द्वारा विषाक्त हो जाते हैं|
ये सभी लिगंड्स सॉफ्ट बेसेस होते हैं|मेटल्स के ऊपर आसानी से अधिशोषित होकर ये लिगंड्स एक्टिव पॉइंट को समाप्त कर देते हैं|इसके विपरीत ये सॉफ्ट एसिड कैटेलिस्ट F,o तथा N जैसे हार्ड बेसेस से विषाक्त नहीं होते हैं|
(5) पदार्थो की विलेयता की व्याख्या
विलायक में किसी पदार्थ का घुलना तभी घुलता हैं जब पदार्थ का सॉफ्ट पार्ट विलायक के सॉफ्ट पार्ट से कंबाइंड होता हैं या हार्ड पार्ट हार्ड पार्ट से कंबाइंड होता हैं|Ag+ एक सॉफ्ट एसिड हैं|
इसका जलीय सलूशन [Ag(H2O)n]+सॉफ्ट एसिड Ag+ तथा हार्ड बेसेस O(H2O) के मध्य बंध द्वारा बना हैं|इसी प्रकार I- एक सॉफ्ट बेसेस इसका जलीय सलूशन[I(H2O)]- सॉफ्ट बेसेस तथा हार्ड एसिड H+(H2O)के मध्य बंध द्वारा बना हैं|
[Ag(H2O)n]+ + [I(H2O)m] ———–>AgI + (n+m) H2O
इस प्रकार AgI जल में अविलय होता हैं|
अतः F- हेलाईड सर्वाधिक हार्ड बेसेस होगा|[F(H2O)m]-में हार्ड बेसेस F- हार्ड एसिड H+(H2O) से जुड़े हैं|यह स्टेबल संयोजन हैं|इसी प्रकार AgF में Ag+ सॉफ्ट एसिड तथा F- हार्ड बेसेस होने के कारण यह अन स्टेबल योगिक होगा|
[Ag(H2o)n]+ +[F(H2O)m]- <———– AgF +(n+m) H2O
यही कारण हैं कि AgF जल में विलय हैं|
(6) प्रकृति में मेटल्स के पाए जाने की व्याखा
इस धारणा द्वारा मेटल्स के नेचर में भिभिन्न अयस्को(ores) के रूप में पाए जाने की व्याख्या इस प्रकार से की जा सकती हैं|
(i) मैग्नेशियम और कैल्सियम कार्बोनेट के रूप में पाए जाते हैं|Mg+ तथा Ca+ हार्ड एसिड हैं|CO32- हार्ड बेसेस हैं|अतः MgCo3 और CaCo3 स्टेबल यौगिक होगे|
(ii) Al3+ एक हार्ड एसिड हैं|O2- भी एक हार्ड बेसेस हैं|अतः प्रकृति में अलुनियम Al2O3 खनिज के रूप में पाया जाता हैं|
iii) Cu+,Ag+,तथा Hg+ सभी सॉफ्ट एसिड हैं|S2- भी सॉफ्ट बेसेस हैं| अतःकॉपर,सिल्वर तथा मरकरी प्रकृति में Cu2S,Ag2S तथा HgS खनिजों के रूप में पाए जाते हैं|
(7) बेसिक रेडिकल के गुणात्मक विश्लेषण में समूह अभिकर्मकों के चयन की व्याख्या
बेसिक रेडिकल के लिए प्रत्येक समूह का अबक्षेपन एक विशेष समूह अभिकर्मक द्वारा किया जाता हैं|प्रथम समूह में Ag+,Hg2++तथा Pb2+ मूलक हैं|
Ag+,Hg2++ दोनों सॉफ्ट एसिड हैं जबकि Pb2+ सीमा रेखा अम्ल हैं|ये सभी सीमा रेखा क्षारक Cl- के साथ स्टेबल क्लोराइड बनाते हैं |
इस प्रकार प्रथम समूह में AgCl,Hg2Cl2 तथा PbCl2 काअबक्षेप प्राप्त होता हैं|
द्वितीय समूह में मुलको को सल्फाइड के रूप में अबक्षेपित किया जाता हैं|
S2- एक सॉफ्ट बेसेस हैं |अतः यह सॉफ्ट या बॉर्डर लाइन एसिड से कंबाइंड होकर स्टेबल कंपाउंड देते हैं|
इसी प्रकार अन्य समूहों का स्पस्टीकरण किया जा सकता हैं |
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