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sn1sn2 reaction तंत्रों (Mechanisms) के बीच अंतर और उनके कार्य

sn1sn2 reaction तंत्रों (Mechanisms) के बीच अंतर और उनके कार्य|। SN1 तंत्र धीमी दो-चरणीय प्रक्रिया है जो तीनीय सब्सट्रेट्स पर निर्भर करती है, जबकि SN2 तंत्र तेज़ एक-चरणीय प्रक्रिया है जो प्राथमिक सब्सट्रेट्स पर निर्भर करती है। इनके स्टेरियोकेमिकल परिणाम और प्रतिक्रिया की गति में भी अंतर होता है।

sn1sn2 reaction तंत्रों (Mechanisms) के बीच अंतर और उनके कार्य 

ऐलिफेटिक न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन प्रतिक्रियाएँ SN1 और SN2 तंत्रों के माध्यम से होती हैं। इन दोनों तंत्रों के बीच महत्वपूर्ण अंतर होते हैं जो प्रतिक्रिया की गति, मार्ग, और उत्पादों को प्रभावित करते हैं। नीचे एक विस्तृत चार्ट, उदाहरण और रासायनिक प्रतिक्रियाओं के साथ इन तंत्रों के अंतर और विशेषताओं का वर्णन किया गया है।

SN1 तंत्र (Unimolecular Nucleophilic Substitution)

तंत्र और चरण: SN1 तंत्र में, प्रतिस्थापन प्रक्रिया दो चरणों में होती है:

  1. प्रथम चरण: छोड़ने वाला समूह (L) कार्बन से अलग हो जाता है, जिससे एक कार्बोकैटायन (carbocation) बनता है। यह धीमा चरण होता है।
  2. द्वितीय चरण: न्यूक्लियोफाइल (Nu⁻) कार्बोकैटायन पर आक्रमण करता है और प्रतिस्थापित करता है। यह तेज़ चरण होता है।

उदाहरण: tert-ब्यूटिल ब्रोमाइड (tert-Butyl bromide) का हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) द्वारा प्रतिस्थापन:

(CH3)3C-Br(CH3)3C++Br\text{(CH}_3\text{)}_3\text{C-Br} \rightarrow \text{(CH}_3\text{)}_3\text{C}^+ + \text{Br}^- 

 

(CH3)3C++OH(CH3)3C-OH\text{(CH}_3\text{)}_3\text{C}^+ + \text{OH}^- \rightarrow \text{(CH}_3\text{)}_3\text{C-OH} 

विशेषताएँ:

  • प्रतिक्रिया की गति छोड़ने वाले समूह की दर से नियंत्रित होती है।
  • SN1 तंत्र बहुधा तीनीय (tertiary) सब्सट्रेट्स में देखा जाता है क्योंकि कार्बोकैटायन की स्थिरता महत्वपूर्ण है।
  • प्रतिक्रियाएँ ध्रुवीय प्रोटिक सॉल्वेंट्स (जैसे जल, इथेनॉल) में होती हैं।
  • उत्पादों में रेसमिक मिश्रण (racemic mixture) हो सकता है, क्योंकि न्यूक्लियोफाइल दोनो दिशाओं से आक्रमण कर सकता है।

SN2 तंत्र (Bimolecular Nucleophilic Substitution)

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तंत्र और चरण: SN2 तंत्र में, प्रतिस्थापन प्रक्रिया एक चरण में होती है:

  • न्यूक्लियोफाइल (Nu⁻) सीधे सब्सट्रेट के इलेक्ट्रोफिलिक कार्बन पर पीछे से आक्रमण करता है, जिससे छोड़ने वाला समूह (L) एक ही समय में अलग हो जाता है।

उदाहरण: मेथिल ब्रोमाइड (Methyl bromide) का हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) द्वारा प्रतिस्थापन:

CH3Br+OHCH3OH+Br\text{CH}_3\text{Br} + \text{OH}^- \rightarrow \text{CH}_3\text{OH} + \text{Br}^-

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विशेषताएँ:

  • प्रतिक्रिया एक सिंगल चरण में होती है।
  • प्रतिक्रिया दर न्यूक्लियोफाइल और सब्सट्रेट दोनों की सांद्रता पर निर्भर होती है।
  • SN2 तंत्र प्राथमिक (primary) और द्वितीयक (secondary) सब्सट्रेट्स में देखा जाता है।
  • प्रतिक्रिया ध्रुवीय एप्रोटिक सॉल्वेंट्स (जैसे डीएमएसओ, एसीटोन) में अधिक प्रभावी होती है।
  • प्रतिक्रिया का उत्पाद इनवर्जन (inversion) के साथ होता है, जिसे वॉल्डन इनवर्जन (Walden inversion) कहा जाता है।

सारणीबद्ध विवरण

विषय SN1 तंत्र SN2 तंत्र
तंत्र दो चरण एक चरण
प्रथम चरण छोड़ने वाले समूह का अलग होना न्यूक्लियोफाइल का पीछे से आक्रमण
द्वितीय चरण कार्बोकैटायन पर न्यूक्लियोफाइल का आक्रमण छोड़ने वाले समूह का तुरंत अलग होना
उदाहरण tert-ब्यूटिल ब्रोमाइड + OH⁻ मेथिल ब्रोमाइड + OH⁻
सब्सट्रेट प्रकार तीनीय (tertiary) प्राथमिक (primary)
न्यूक्लियोफाइल का प्रभाव कम महत्वपूर्ण अत्यधिक महत्वपूर्ण
छोड़ने वाला समूह महत्वपूर्ण, अच्छा छोड़ने वाला समूह आवश्यक महत्वपूर्ण, अच्छा छोड़ने वाला समूह आवश्यक
सॉल्वेंट का प्रभाव ध्रुवीय प्रोटिक ध्रुवीय एप्रोटिक
स्टेरियोकेमिस्ट्री रेसमिक मिश्रण वॉल्डन इनवर्जन
प्रतिक्रिया दर प्रथम चरण की दर द्वारा नियंत्रित न्यूक्लियोफाइल और सब्सट्रेट की सांद्रता पर निर्भर

विस्तृत उदाहरण और रासायनिक प्रतिक्रियाएँ

sn1sn2 reaction

SN1 तंत्र का विस्तृत उदाहरण

प्रतिक्रिया: tert-ब्यूटिल ब्रोमाइड (tert-Butyl bromide) का प्रतिस्थापन:

 

(CH3)3C-BrH2O(CH3)3C++Br\text{(CH}_3\text{)}_3\text{C-Br} \xrightarrow{\text{H}_2\text{O}} \text{(CH}_3\text{)}_3\text{C}^+ + \text{Br}^- 

 

(CH3)3C++H2O(CH3)3C-OH2+(CH3)3C-OH+H+\text{(CH}_3\text{)}_3\text{C}^+ + \text{H}_2\text{O} \rightarrow \text{(CH}_3\text{)}_3\text{C-OH}_2^+ \rightarrow \text{(CH}_3\text{)}_3\text{C-OH} + \text{H}^+

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विवरण:

  1. प्रथम चरण: tert-ब्यूटिल ब्रोमाइड (tert-Butyl bromide) छोड़ने वाले समूह (Br⁻) के अलग होने पर tert-ब्यूटिल कार्बोकैटायन (tert-Butyl carbocation) बनाता है।
  2. द्वितीय चरण: हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) कार्बोकैटायन पर आक्रमण करता है और tert-ब्यूटिल अल्कोहल (tert-Butyl alcohol) बनता है।

स्टेरियोकेमिस्ट्री: यह प्रतिक्रिया रेसमिक मिश्रण (racemic mixture) उत्पन्न कर सकती है क्योंकि न्यूक्लियोफाइल दोनो दिशाओं से आक्रमण कर सकता है।

SN2 तंत्र का विस्तृत उदाहरण

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प्रतिक्रिया: मेथिल ब्रोमाइड (Methyl bromide) का प्रतिस्थापन:

 

CH3Br+OH[CH3BrOH]CH3OH+Br\text{CH}_3\text{Br} + \text{OH}^- \rightarrow [\text{CH}_3\text{Br}\text{OH}^-]^{\ddagger} \rightarrow \text{CH}_3\text{OH} + \text{Br}^- 

विवरण:

  1. एक चरण: न्यूक्लियोफाइल (OH⁻) सीधे इलेक्ट्रोफिलिक कार्बन पर पीछे से आक्रमण करता है, जिससे मेथिल ब्रोमाइड (Methyl bromide) छोड़ने वाला समूह (Br⁻) अलग हो जाता है और मेथनॉल (Methanol) बनता है।

स्टेरियोकेमिस्ट्री: यह प्रतिक्रिया वॉल्डन इनवर्जन (Walden inversion) के साथ होती है, जिससे उत्पाद में स्टेरियोकेमिकल संरचना में परिवर्तन होता है।

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निष्कर्ष

SN1 और SN2 तंत्र ऐलिफेटिक न्यूक्लियोफिलिक प्रतिस्थापन प्रतिक्रियाओं के महत्वपूर्ण तंत्र हैं। दोनों तंत्रों में अंतर उनके कार्य करने के तरीके, प्रतिक्रिया की गति, स्टेरियोकेमिस्ट्री और प्रतिक्रिया माध्यम के प्रभाव में होते हैं।

SN1 तंत्र में धीमा प्रथम चरण होता है जिसमें कार्बोकैटायन का निर्माण होता है, जबकि SN2 तंत्र में एक ही चरण में न्यूक्लियोफाइल का प्रत्यक्ष आक्रमण होता है।

प्रतिक्रिया की प्रकृति और उत्पाद की संरचना इन तंत्रों के आधार पर भिन्न होती है। इन तंत्रों का विस्तृत अध्ययन हमें रासायनिक संश्लेषण की प्रक्रिया को समझने और नियंत्रित करने में मदद करता है।

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aliphatic nucleophilic substitution क्या होता है?

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