parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
परमाणु बम के विनाशकारी(parmanu bomb ka vinash) इतिहास को जानें, जिसमें ओपेनहाइमर की चेतावनी और हिरोशिमा पर ‘लिटिल बॉय’ बम का असर शामिल है। जानें कि कैसे आज के परमाणु बम अधिक शक्तिशाली हैं, और इस तकनीक का उपयोग हमें किस दिशा में ले जा रहा है।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
16 जुलाई 1945 को सुबह 5:30 बजे, अमेरिका में एक परमाणु बम का परीक्षण किया गया। इस बम के परिणाम को देखकर इसके रचयिता ओपेनहाइमर के मुंह से एक बात निकली – “अब मैं मृत्यु बन गया हूँ, संसार का विनाशक।” और यह बात सच साबित हुई। इस बम के परीक्षण के 20 दिन बाद, 6 अगस्त 1945 को सुबह 8:15 बजे अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर ‘लिटिल बॉय’ नामक बम गिराया। इस बम ने तुरंत 70,000 लोगों की जान ले ली और अगले दो महीनों में भी इतने ही लोगों की जान चली गई। इसके बाद से हम चांद और मंगल पर जीवन की तलाश कर रहे हैं।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
ओपेनहाइमर ने दो बम बनाए थे – ‘फैट मैन‘ और ‘लिटिल बॉय’। ‘लिटिल बॉय’ में विस्फोटक के रूप में यूरेनियम का उपयोग किया गया था और ‘फैट मैन’ में प्लूटोनियम का। यूरेनियम और प्लूटोनियम दोनों ही रेडियोधर्मी तत्व होते हैं, लेकिन यहां यूरेनियम के आइसोटोप U-235 और प्लूटोनियम के आइसोटोप P-239 का उपयोग किया गया, क्योंकि केवल ये आइसोटोप परमाणु विखंडन की प्रक्रिया कर सकते हैं और इनमें न्यूट्रॉनों की अधिक उपलब्धता होती है।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
1945 में, ‘लिटिल बॉय‘ बम में 64 किलोग्राम यूरेनियम का उपयोग किया गया था, जिसने 15,000 टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा उत्पन्न की। लेकिन आज के समय में, 1 किलोग्राम यूरेनियम 20,000 टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है, जो कि 1945 के बम से 80 गुना अधिक शक्तिशाली है। आज के परमाणु बम आकार में छोटे और शक्ति में बहुत अधिक होते हैं। विस्फोटक सामग्री अब भी प्लूटोनियम और यूरेनियम ही हैं, लेकिन यह अब अधिक शुद्ध रूप में उपलब्ध है।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
यदि हम यूरेनियम की शक्ति को सरल भाषा में समझें, तो थर्मल पावर प्लांट में कोयले से बिजली उत्पन्न की जाती है और न्यूक्लियर पावर प्लांट में यूरेनियम का उपयोग किया जाता है। 1 किलोग्राम यूरेनियम 27 लाख किलोग्राम कोयले के बराबर होता है। यूरेनियम का परमाणु भार अधिक होता है, जिसे परमाणु विखंडन की प्रक्रिया द्वारा छोटे-छोटे परमाणुओं में विभाजित किया जाता है और जब यह यूरेनियम टूटता है, तो यह बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
परमाणु बम के अंदर इस प्रक्रिया को संचालित करने के लिए बम का डिज़ाइन अलग-अलग हो सकता है। ओपेनहाइमर के ‘लिटिल बॉय’ बम को सक्रिय करने का डिज़ाइन एक बंदूक की तरह था। बम की लंबाई 10 फीट और व्यास 28 इंच था, और इसका वजन 4400 किलोग्राम था। जिस विमान से इस बम को गिराया गया उसका नाम B-29 था, जो एक बमवर्षक विमान था।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
जब विमान 38,000 फीट की ऊंचाई पर था, तो उसने अपने दरवाजे खोले और बम को गिराया। बम के पिछले हिस्से में फिन्स लगे हुए थे, जो इसे हवा में संतुलित करने के लिए उपयोग होते हैं। जैसे ही बम गिरता है, इसमें लगी 24 वोल्ट की बैटरी टाइमर और सेंसर को सक्रिय कर देती है। बम का बैरोमीटर सेंसर जमीन से ऊंचाई की जांच करता रहता है, और साथ ही बम के शरीर पर लगे रडार सेंसर भी सक्रिय हो जाते हैं।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
जब बम जमीन से 1900 फीट की ऊंचाई पर था, तो फायरिंग स्विच सक्रिय हो गया। इस स्विच ने इग्नाइटर को चालू किया, जिससे स्पार्क उत्पन्न हुआ। इस स्पार्क के सामने सिल्क का बना एक सिलेंड्रिकल बैग था, जो कोरडाइट पाउडर से भरा हुआ था। कोरडाइट एक स्मोकलेस प्रोपेलेंट है जो स्पार्क से विस्फोटित होता है। इस विस्फोट से टंगस्टन कार्बाइड डिस्क पर जबरदस्त बल आता है, और इसके आगे यूरेनियम-235 की सब-क्रिटिकल मास वैल्यू होती है।
इस विस्फोट से टंगस्टन कार्बाइड डिस्क और यूरेनियम 300 मीटर प्रति सेकंड की गति से आगे बढ़ते हैं। सामने की ओर सुपर-क्रिटिकल वैल्यू में यूरेनियम-235 का सिलेंड्रिकल रूप रखा गया है, जिसका वजन 25.6 किलोग्राम है। जैसे ही सब-क्रिटिकल मास वैल्यू और सुपर-क्रिटिकल वैल्यू मिलते हैं, परमाणु विखंडन की प्रक्रिया शुरू होती है।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
इस प्रक्रिया के बाद इतनी ऊर्जा उत्पन्न होती है कि बम में लगा धातु पिघल जाता है और विस्फोट हो जाता है। यह विस्फोट इतना जबरदस्त होता है कि 1200 फीट व्यास का एक विशाल अग्नि गोला बनता है, जो 6000 फीट तक जाता है। यह एक मशरूम के आकार का चमकता हुआ बादल होता है, जिसकी तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस होता है, जो सूर्य की सतह के तापमान के बराबर होता है।
इस आग के गोले ने पलक झपकते ही लगभग 40,000 लोगों की जान ले ली। इस विस्फोट के क्षेत्र में मौजूद सभी लोग पूरी तरह से गायब हो गए, यहां तक कि उनकी हड्डियाँ भी बच नहीं पाईं, वे वाष्पित हो गए। इस आग के गोले ने इतनी तीव्र शॉकवेव उत्पन्न की कि इसने सभी दिशाओं में ध्वनि की गति से भी तेज़ गति से यात्रा की, जिससे भूकंप आने लगे।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
‘लिटिल बॉय’ बम को जमीन से कुछ ऊंचाई पर विस्फोट किया गया था ताकि उसका आग का गोला अधिक क्षेत्र को कवर कर सके। विस्फोट के तुरंत बाद, तापमान इतना बढ़ जाता है कि वहां की हवा गर्म होकर ऊपर उठ जाती है, जिससे वहां एक वैक्यूम बन जाता है। इस वैक्यूम को संतुलित करने के लिए बम के आसपास की हवा केंद्र की ओर बढ़ती है, जिससे यह आग का गोला एक 3.2 किलोमीटर व्यास के फायरस्ट्रीम में बदल जाता है। इस आग के गोले ने दबाव और तापमान को इतना बढ़ा दिया कि इसके व्यास के अंदर के सभी लोग तुरंत मर गए और इमारतें राख में बदल गईं।
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
इसके बाद, बम के केंद्र से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी तक के लोगों पर भारी विकिरण का प्रभाव पड़ा, जिससे उनकी त्वचा जलने लगी। इस बम के कारण लोग मुख्य रूप से तीन कारणों से मरे – विस्फोट, आग, और विकिरण। विस्फोट और आग से लोग उसी समय मर गए, लेकिन यह विकिरण हजारों सालों तक लोगों को मारता रहा और उनके जीवन पर इसके दुष्प्रभाव जारी रहे। इसके अलावा, कैंसर का खतरा भी बना रहता है।
इस परमाणु बम के कारण हिरोशिमा और नागासाकी में लगभग 2 लाख लोगों की जान चली गई। आज भी उस क्षेत्र में इस परमाणु बम का प्रभाव देखा जा सकता है, जिसके चित्र आप देख सकते हैं। ओपेनहाइमर को अपनी इस खोज पर बहुत पछतावा हुआ और उन्होंने इस परमाणु बम को बैन करने की भरसक कोशिश की, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए। अब आप ही बताइए, क्या ओपेनहाइमर हीरो हैं या विलेन?
parmanu bomb ka vinash: openheimer ki chetavani aur manvata ki trasadi
आज के समय में 1 किलोग्राम यूरेनियम की कीमत 7 मिलियन डॉलर है, इसके बावजूद हमारी धरती पर 12,500 परमाणु बम उपलब्ध हैं। आज 10 से अधिक देशों के पास परमाणु बम हैं। पिछले 80 सालों में कोई भी परमाणु बम इस्तेमाल नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी हम इंसान पेट्रोल के डिब्बे के साथ जलती हुई माचिस लिए घूम रहे हैं।