Born-Haber Cycle Ultimate 5 Steps for Understanding|बौर्न हैबर चक्र (Born-Haber Cycle) एक थर्मोडायनामिक चक्र है जिसका उपयोग आयनिक यौगिकों की गठन ऊर्जा (formation energy) को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह विभिन्न चरणों में विभाजित होता है, जिसमें तत्वों की ऊर्जाओं का ध्यान रखा जाता है, जैसे कि वाष्पीकरण, आयनीकरण, और इलेक्ट्रॉन सम्बद्धता।
Born-Haber Cycle Ultimate 5 Steps for Understanding
NaCl की जालक ऊर्जा का निर्धारण
NaCl (सोडियम क्लोराइड) की जालक ऊर्जा को बौर्न हैबर चक्र की सहायता से निम्नलिखित चरणों में ज्ञात किया जा सकता है:
- सोडियम धातु की ऊष्मा वाष्पीकरण (Heat of vaporization of sodium metal):
𝑁𝑎(𝑠)→𝑁𝑎(𝑔)Na(s)→Na(g) - सोडियम परमाणु का आयनीकरण (Ionization of sodium atom):
𝑁𝑎(𝑔)→𝑁𝑎(𝑔)++𝑒−Na(g)→Na(g)++e− - क्लोरीन अणु का अपघटन (Dissociation of chlorine molecule):
12𝐶𝑙2(𝑔)→𝐶𝑙(𝑔)21Cl2(g)→Cl(g) - क्लोरीन परमाणु का इलेक्ट्रॉन सम्बद्धता (Electron affinity of chlorine atom):
𝐶𝑙(𝑔)+𝑒−→𝐶𝑙(𝑔)−Cl(g)+e−→Cl(g)− - Na^+ और Cl^- आयनों का संयोजन (Combination of Na^+ and Cl^- ions):
𝑁𝑎(𝑔)++𝐶𝑙(𝑔)−→𝑁𝑎𝐶𝑙(𝑠)Na(g)++Cl(g)−→NaCl(s)
ऊर्जा चक्र
ऊर्जा चक्र के अनुसार:
Δ𝐻𝑓(𝑁𝑎𝐶𝑙(𝑠))=Δ𝐻𝑠𝑢𝑏(𝑁𝑎)+𝐼𝐸1(𝑁𝑎)+12𝐵𝐷𝐸𝐶𝑙2+𝐸𝐴𝐶𝑙+Δ𝐻𝑙𝑎𝑡𝑡𝑖𝑐𝑒(𝑁𝑎𝐶𝑙)ΔHf(NaCl(s))=ΔHsub(Na)+IE1(Na)+21BDECl2+EACl+ΔHlattice(NaCl)
जहाँ:
- Δ𝐻𝑓(𝑁𝑎𝐶𝑙(𝑠))ΔHf(NaCl(s)) = सोडियम क्लोराइड का गठन एन्थैल्पी
- Δ𝐻𝑠𝑢𝑏(𝑁𝑎)ΔHsub(Na) = सोडियम की वाष्पीकरण एन्थैल्पी
- 𝐼𝐸1(𝑁𝑎)IE1(Na) = सोडियम का प्रथम आयनीकरण एन्थैल्पी
- 12𝐵𝐷𝐸𝐶𝑙221BDECl2 = क्लोरीन अणु का बॉन्ड डिसोसिएशन एन्थैल्पी का आधा
- 𝐸𝐴𝐶𝑙EACl = क्लोरीन का इलेक्ट्रॉन सम्बद्धता एन्थैल्पी
- Δ𝐻𝑙𝑎𝑡𝑡𝑖𝑐𝑒(𝑁𝑎𝐶𝑙)ΔHlattice(NaCl) = NaCl की जालक ऊर्जा
अब, Δ𝐻𝑓(𝑁𝑎𝐶𝑙(𝑠))ΔHf(NaCl(s)) और अन्य ज्ञात मूल्यों को जोड़कर हम NaCl की जालक ऊर्जा ज्ञात कर सकते हैं:
Δ𝐻𝑙𝑎𝑡𝑡𝑖𝑐𝑒(𝑁𝑎𝐶𝑙)=Δ𝐻𝑓(𝑁𝑎𝐶𝑙(𝑠))−(Δ𝐻𝑠𝑢𝑏(𝑁𝑎)+𝐼𝐸1(𝑁𝑎)+12𝐵𝐷𝐸𝐶𝑙2+𝐸𝐴𝐶𝑙)ΔHlattice(NaCl)=ΔHf(NaCl(s))−(ΔHsub(Na)+IE1(Na)+21BDECl2+EACl)
इस तरह, बौर्न हैबर चक्र की सहायता से NaCl की जालक ऊर्जा को गणितीय रूप से ज्ञात किया जा सकता है।
बौर्न हैबर चक्र का सिद्धांत
बौर्न हैबर चक्र थर्मोडायनामिक्स के पहले नियम (First Law of Thermodynamics) पर आधारित है, जिसे ऊर्जा संरक्षण का नियम भी कहा जाता है। इस नियम के अनुसार, ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, बल्कि इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। बौर्न हैबर चक्र इस सिद्धांत का उपयोग करते हुए आयनिक यौगिकों की जालक ऊर्जा (lattice energy) का निर्धारण करता है।
थ्योरी के मुख्य बिंदु
- रसायनिक प्रतिक्रियाओं की एनर्जी प्रोफाइल:
- बौर्न हैबर चक्र में प्रत्येक चरण की ऊर्जा को जोड़कर कुल ऊर्जा परिवर्तन का निर्धारण किया जाता है।
- यह प्रतिक्रिया के विभिन्न चरणों की ऊर्जा प्रोफाइल को दर्शाता है।
- एनथैल्पी परिवर्तन:
- बौर्न हैबर चक्र में उपयोग किए गए सभी ऊर्जा परिवर्तन एनथैल्पी (enthalpy) के रूप में मापे जाते हैं।
- एनथैल्पी परिवर्तन को Δ𝐻ΔH द्वारा दर्शाया जाता है, जो प्रक्रिया के दौरान ऊर्जा के अवशोषण या उत्सर्जन को मापता है।
- प्रक्रिया के चरण:
- बौर्न हैबर चक्र में आयनिक यौगिक की गठन (formation) को विभिन्न चरणों में विभाजित किया जाता है:
- धातु का वाष्पीकरण (Sublimation of metal)
- परमाणु का आयनीकरण (Ionization of atom)
- गैर-धातु का अपघटन (Dissociation of non-metal molecule)
- गैर-धातु का इलेक्ट्रॉन सम्बद्धता (Electron affinity of non-metal)
- आयनों का संयोजन (Combination of ions to form ionic compound)
- बौर्न हैबर चक्र में आयनिक यौगिक की गठन (formation) को विभिन्न चरणों में विभाजित किया जाता है:
- हैस का नियम (Hess’s Law):
- बौर्न हैबर चक्र हैस के नियम पर आधारित है, जो कहता है कि किसी भी रासायनिक प्रतिक्रिया के कुल एन्थैल्पी परिवर्तन (total enthalpy change) को विभिन्न चरणों के एन्थैल्पी परिवर्तनों का योग माना जा सकता है।
बौर्न हैबर चक्र के उपयोग
- जालक ऊर्जा का निर्धारण:
- बौर्न हैबर चक्र का मुख्य उपयोग आयनिक यौगिकों की जालक ऊर्जा का निर्धारण करना है, जो कि यौगिक की स्थिरता और भौतिक गुणों को प्रभावित करता है।
- गठन एन्थैल्पी का निर्धारण:
- बौर्न हैबर चक्र की सहायता से किसी आयनिक यौगिक की गठन एन्थैल्पी (Δ𝐻𝑓ΔHf) को ज्ञात किया जा सकता है।
- यौगिकों की तुलना:
- बौर्न हैबर चक्र विभिन्न आयनिक यौगिकों की जालक ऊर्जा की तुलना करने में मदद करता है, जिससे उनकी स्थिरता, गलनांक और अन्य भौतिक गुणों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
उदाहरण: बौर्न हैबर चक्र का प्रयोग
NaCl (सोडियम क्लोराइड) का उदाहरण
NaCl की जालक ऊर्जा ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित चरणों का प्रयोग किया जाता है:
- सोडियम धातु का वाष्पीकरण:
𝑁𝑎(𝑠)→𝑁𝑎(𝑔)Na(s)→Na(g) - सोडियम परमाणु का आयनीकरण:
𝑁𝑎(𝑔)→𝑁𝑎(𝑔)++𝑒−Na(g)→Na(g)++e− - क्लोरीन अणु का अपघटन:
12𝐶𝑙2(𝑔)→𝐶𝑙(𝑔)21Cl2(g)→Cl(g) - क्लोरीन परमाणु का इलेक्ट्रॉन सम्बद्धता:
𝐶𝑙(𝑔)+𝑒−→𝐶𝑙(𝑔)−Cl(g)+e−→Cl(g)− - Na^+ और Cl^- आयनों का संयोजन:
𝑁𝑎(𝑔)++𝐶𝑙(𝑔)−→𝑁𝑎𝐶𝑙(𝑠)Na(g)++Cl(g)−→NaCl(s)
ऊर्जा चक्र
Δ𝐻𝑙𝑎𝑡𝑡𝑖𝑐𝑒(𝑁𝑎𝐶𝑙)=Δ𝐻𝑓(𝑁𝑎𝐶𝑙(𝑠))−(Δ𝐻𝑠𝑢𝑏(𝑁𝑎)+𝐼𝐸1(𝑁𝑎)+12𝐵𝐷𝐸𝐶𝑙2+𝐸𝐴𝐶𝑙)ΔHlattice(NaCl)=ΔHf(NaCl(s))−(ΔHsub(Na)+IE1(Na)+21BDECl2+EACl)
इस प्रकार, बौर्न हैबर चक्र की सहायता से NaCl की जालक ऊर्जा को ज्ञात किया जा सकता है।
निष्कर्ष
बौर्न हैबर चक्र एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिसका उपयोग आयनिक यौगिकों की जालक ऊर्जा और गठन एन्थैल्पी को समझने और निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह हमें रासायनिक प्रतिक्रियाओं की ऊर्जा प्रोफाइल और यौगिकों की स्थिरता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।