पर्यावरण रसायन: माइक्रोप्लास्टिक संकट और टिकाऊ फ्लोरोरसायन उत्पादन के समाधान।

पर्यावरण रसायन विज्ञान में रासायनिक प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जो पर्यावरण में घटित होती हैं। यह प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ रासायनिक उत्पादन की चुनौतियों का समाधान करता है।

माइक्रोप्लास्टिक छोटे प्लास्टिक कण होते हैं जो 5 मिमी से छोटे होते हैं, जो समुद्र, नदियों और यहां तक कि मरीआना ट्रेंच जैसी दूरस्थ जगहों में पाए जाते हैं।

अध्ययन बताते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक बादलों के निर्माण में बाधा डाल सकते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन और मौसम पर प्रभाव पड़ता है।

माइक्रोप्लास्टिक के प्रमुख स्रोत: 1. कपड़ों से सिंथेटिक फाइबर 2. बड़े प्लास्टिक उत्पादों का टूटना 3. कॉस्मेटिक्स में माइक्रोबीड्स।"*

माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए हमें जैविक सामग्री और कचरा प्रबंधन में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

फ्लोरोरसायन उत्पादन के लिए फ्लोर्स्पार (CaF₂) एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन पारंपरिक प्रक्रिया में खतरनाक हाइड्रोजन फ्लोराइड (HF) का उपयोग होता है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने फ्लोर्स्पार से फ्लोरिन निकालने का सुरक्षित तरीका विकसित किया है: – ऑक्सालिक एसिड – लुईस एसिड जैसे बोरिक एसिड का उपयोग। यह प्रक्रिया हल्की स्थितियों में होती है और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है।

इस नई विधि के लाभ: 1. खतरनाक HF पर निर्भरता समाप्त। 2. फ्लोरोरसायन का सुरक्षित और टिकाऊ उत्पादन। 3. सरल उपकरणों के साथ इसे आसानी से लागू किया जा सकता है।

माइक्रोप्लास्टिक और फ्लोरोरसायन उत्पादन को सुधारने के लिए नवाचार आवश्यक हैं। पर्यावरण रसायन विज्ञान में अनुसंधान जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से निपटने में अहम भूमिका निभाएगा।