Sankhya Patanjali uttar vedik kaal Parmparagat Rasayan Vigyan यूनिट 1
Sankhya Patanjali विषय बीएससी प्रथम वर्ष के माइनर -1 के रसायनशास्त्र से सम्बंधित हैं|जिसमे आप जानेगे उत्तर वैदिक काल के परंपरागत रसायन विज्ञान के बारे मैं आज हम केवल Sankhya Patanjali के बारे में समझेंगे |
Sankhya Patanjali, जो दो अलग-अलग भारतीय दर्शन परंपराओं को जोड़ता है — “सांख्य दर्शन” (Sankhya) और “पतंजलि” द्वारा प्रतिपादित योग दर्शन। आइए इसे स्पष्ट रूप से समझते हैं:
Sankhya Patanjali: भारतीय दर्शन की दो प्रमुख धाराएँ
भारत का प्राचीन दर्शन शास्त्र विविध विचारधाराओं से भरपूर है, जिनमें दो प्रमुख धाराएँ हैं — सांख्य दर्शन और पतंजलि का योग दर्शन। जब हम इन दोनों का समन्वय करते हैं, तो हमें एक समग्र समझ मिलती है, जिसे आज के समय में भी आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक संतुलन के लिए अपनाया जाता है। यही संयुक्त दृष्टिकोण “Sankhya Patanjali” के नाम से जाना जाता है।
आसान जुबान में
भारत में पुराने ज़माने से लोग ये सोचते आए हैं कि हम कौन हैं, ये दुनिया कैसे बनी, और हमें सच्चा सुख कैसे मिलेगा। इसी सोच-विचार से दो रास्ते निकले — एक है सांख्य दर्शन (Sankhya) और दूसरा है पतंजलि का योग (Patanjali Yoga)। जब हम इन दोनों को एक साथ समझते हैं, तो उसे ही हम कहते हैं “Sankhya Patanjali”।
Sankhya Darshan: ज्ञान आधारित दर्शन
सांख्य दर्शन भारत के छह आस्तिक दर्शनों में से एक है, जिसकी स्थापना महर्षि कपिल मुनि ने की थी। यह एक तत्वमीमांसा पर आधारित दर्शन है, जो संसार की उत्पत्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए दो मुख्य तत्त्वों को स्वीकार करता है: पुरुष (आत्मा) और प्रकृति (सृष्टि का मूल कारण)।
Sankhya क्या कहता है?
Sankhya बताता है कि ये जो दुनिया है, इसमें दो चीज़ें काम कर रही हैं:
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पुरुष – यानी आत्मा (हमारा असली रूप)
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प्रकृति – यानी सब कुछ जो हम देखते हैं (शरीर, मन, दुनिया…)
ये दर्शन कहता है कि हमारी आत्मा अलग है और शरीर/दुनिया अलग है। जब तक हम ये नहीं समझेंगे, हम दुखी रहेंगे। और जब हमें ये समझ आ जाएगी, तो हम मुक्त यानी आज़ाद हो जाएंगे।
उदाहरण 1: जैसे मोबाइल यूज़र और मोबाइल फोन अलग हैं। यूज़र सिर्फ इस्तेमाल करता है, फोन तो बस एक मशीन है। वैसे ही आत्मा और शरीर अलग हैं।
मुख्य सिद्धांत:
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पुरुष साक्षी है, कर्म नहीं करता।
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प्रकृति ही कर्मशील है, जिसमें बुद्धि, अहंकार, मन, इंद्रियाँ आदि उत्पन्न होते हैं।
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मोक्ष की प्राप्ति तभी संभव है जब पुरुष यह जान जाए कि वह प्रकृति से भिन्न है।
उदाहरण 1: जैसे सूरज केवल प्रकाश देता है और खुद कुछ नहीं करता, वैसे ही पुरुष केवल साक्षी है और कर्म प्रकृति करती है।
Yoga of Patanjali: अनुभव आधारित साधना
महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन को “योग सूत्र” के माध्यम से व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया। यह दर्शन सांख्य दर्शन की तात्त्विक नींव पर आधारित है लेकिन इसमें ईश्वर को स्वीकार किया गया है।
Patanjali क्या सिखाते हैं?
Patanjali कहते हैं कि सिर्फ बातें समझने से काम नहीं चलेगा। अगर वाकई सुकून चाहिए, तो योग करना पड़ेगा। योग यानी ध्यान, प्राणायाम, और बाकी 8 स्टेप्स, जो उन्होंने अपने “योग सूत्र” में बताए हैं।
योग के 8 स्टेप:
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अच्छे कर्म करना (यम)
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खुद पर कंट्रोल रखना (नियम)
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आसन (बैठने की सही मुद्रा)
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प्राणायाम (सांस पर कंट्रोल)
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इंद्रियों को कंट्रोल करना
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एक चीज़ पर ध्यान लगाना
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ध्यान
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समाधि (जब सब कुछ भुलाकर आत्मा से जुड़ जाते हैं)
उदाहरण 2: Sankhya किताब है, तो Patanjali उसे पढ़ने और समझने का तरीका है। एक सोच है, दूसरा उस सोच को जीने की प्रक्रिया।
योग के आठ अंग:
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यम – नैतिक नियम
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नियम – व्यक्तिगत अनुशासन
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आसन – शारीरिक स्थिति
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प्राणायाम – श्वास नियंत्रण
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प्रत्याहार – इंद्रियों का संयम
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धारणा – एकाग्रता
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ध्यान – ध्यानावस्था
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समाधि – पूर्ण एकत्व
उदाहरण 2: अगर Sankhya दर्शन ने आत्मा और प्रकृति को अलग मानने की बात कही, तो पतंजलि ने ध्यान और समाधि द्वारा उस अलगाव को अनुभव कराने की विधि दी।
Sankhya Patanjali का आपसी संबंध
Sankhya Patanjali एक-दूसरे के पूरक हैं। Sankhya जहां ज्ञान और तात्त्विक विवेचन देता है, वहीं Patanjali का योग दर्शन उस ज्ञान को प्रयोग और अनुभव में बदलता है।
मुख्य अंतर और सामंजस्य:
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Sankhya: केवल ज्ञान द्वारा मोक्ष
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Patanjali: ज्ञान + साधना (योग) द्वारा मोक्ष
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Sankhya: नास्तिक (ईश्वर निषेध)
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Patanjali: आस्तिक (ईश्वर का स्वीकार)
उदाहरण 3: एक विद्यार्थी केवल किताबें पढ़कर डॉक्टर नहीं बन सकता, उसे प्रैक्टिकल भी करने पड़ते हैं। वैसे ही Sankhya ज्ञान है और Patanjali प्रैक्टिकल।
उदाहरण 4: Sankhya Patanjali को ऐसे समझा जा सकता है जैसे थ्योरी और प्रैक्टिकल – दोनों मिलकर ही पूर्ण शिक्षा बनती है।
तो Sankhya Patanjali का आपस में क्या रिश्ता है?
सीधा सा रिश्ता है —
Sankhya सोचने और समझने वाला रास्ता है।
Patanjali उसे करने और महसूस करने वाला रास्ता है।
उदाहरण 3: जैसे कोई डॉक्टर बनने के लिए पहले किताबें पढ़ता है (Sankhya) और फिर हॉस्पिटल में ट्रेनिंग करता है (Patanjali)।
दोनों ज़रूरी हैं।
उदाहरण 4: Sankhya Patanjali को ऐसे समझो जैसे खाना बनाने की रेसिपी और खाना पकाना — दोनों मिलकर ही पेट भरता है।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण में Sankhya Patanjali का महत्त्व
आज के तनावपूर्ण जीवन में, जहाँ एक ओर मानसिक शांति की आवश्यकता है और दूसरी ओर तर्क और विवेक की माँग, वहाँ Sankhya Patanjali एक संतुलित मार्ग प्रदान करता है।
उदाहरण 5: एक आधुनिक व्यक्ति जो ध्यान करता है (योग) और साथ में जीवन को तर्क से समझता है (दर्शन), वह वास्तव में Sankhya Patanjali पद्धति को ही अपनाता है।
आज के टाइम में Sankhya Patanjali क्यों ज़रूरी है?
आज हम सब भाग-दौड़ में उलझे हुए हैं। दिमाग में टेंशन है, दिल में बेचैनी।
ऐसे में Sankhya Patanjali हमें बताता है कि असली हम क्या हैं और शांति कैसे मिलती है।
उदाहरण 5: अगर आप मेडिटेशन करते हैं और साथ में ज़िंदगी को समझने की कोशिश भी करते हैं, तो आप जाने-अनजाने Sankhya Patanjali को ही अपना रहे हैं।
आखिरी बात
Sankhya Patanjali हमें एक ऐसा रास्ता दिखाता है जो सोच (knowledge) और अभ्यास (practice) दोनों पर चलता है।
सिर्फ बातों से नहीं, और सिर्फ ध्यान से भी नहीं — दोनों को मिलाकर ही ज़िंदगी में सच्चा सुकून मिलता है।
निष्कर्ष
Sankhya Patanjali दर्शन हमें यह सिखाता है कि केवल ज्ञान या केवल साधना से मुक्ति संभव नहीं — इन दोनों का संतुलन ज़रूरी है। जहां Sankhya हमें आत्मा और प्रकृति की गूढ़ जानकारी देता है, वहीं Patanjali उसी जानकारी को जीने की कला सिखाता है। यही समन्वित मार्ग आज के युग के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि हजारों साल पहले था।
FAQ
Sankhya Patanjali क्या है?
Sankhya Patanjali दो भारतीय दर्शनों का मेल है — “सांख्य दर्शन”, जो ज्ञान पर आधारित है और “पतंजलि का योग”, जो अभ्यास (प्रैक्टिस) पर आधारित है। दोनों मिलकर आत्मा और प्रकृति की सच्चाई को समझने और अनुभव करने का रास्ता बताते हैं।
Sankhya Patanjali में मुख्य अंतर और संबंध क्या है?
Sankhya सिर्फ तात्त्विक ज्ञान देता है यानी सोचने की बात करता है, जबकि Patanjali उसी ज्ञान को अनुभव में लाने की प्रक्रिया सिखाता है। इसलिए योग दर्शन को सांख्य दर्शन का व्यावहारिक रूप कहा जाता है।
क्या Sankhya Patanjali ईश्वर को मानता है?
Sankhya दर्शन ईश्वर को नहीं मानता, इसलिए इसे नास्तिक दर्शन कहते हैं।
वहीं, Patanjali ने ईश्वर को माना है और “ईश्वरप्रणिधान” को योग का एक अंग बताया है।
Sankhya Patanjali के ज़रिए मोक्ष कैसे मिलता है?
Sankhya कहता है कि आत्मा और प्रकृति का भेद समझकर व्यक्ति मोक्ष पा सकता है।
Patanjali कहता है कि ध्यान, समाधि और योगाभ्यास से इस भेद का अनुभव कर के मुक्ति मिलती है।
आज के समय में Sankhya Patanjali क्यों ज़रूरी है?
आज की भागदौड़ और मानसिक तनाव से निपटने के लिए Sankhya Patanjali एक संतुलित समाधान देता है — सोचने का भी और करने का भी। इससे व्यक्ति को आत्मज्ञान, शांति और मानसिक स्थिरता मिलती है।