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BSC IV YEAR CHEMISTRY PRACTICAL 2025 RIGHT NOW

BSC IV YEAR CHEMISTRY PRACTICAL 2025

 

🔬 प्रायोगिक कार्य संख्या – 1

प्रयोग का नाम:

अवशोषण स्पेक्ट्रा पर सॉल्वेंट्स के प्रभाव का अध्ययन
(Study of the effect of solvents on different absorption spectra using UV-Visible spectrophotometer)

उद्देश्य (Aim):

विभिन्न सॉल्वेंट्स (विलायकों) में एक ही यौगिक के UV-Visible अवशोषण स्पेक्ट्रा का अध्ययन करना तथा λmax (अधिकतम अवशोषण तरंगदैर्ध्य) में होने वाले bathochromic तथा hypsochromic shift का विश्लेषण करना।

सैद्धांतिक पृष्ठभूमि (Theory):

UV-visible spectroscopy एक विश्लेषणात्मक तकनीक है, जिसमें पदार्थों द्वारा पराबैंगनी (200–400 nm) और दृश्यमान (400–800 nm) तरंगदैर्ध्य की प्रकाश तरंगों के अवशोषण का अध्ययन किया जाता है।
विलायक अणु की इलेक्ट्रॉनिक अवस्था को प्रभावित कर सकता है और π→π* या n→π* संक्रमण की ऊर्जा बदल सकता है, जिससे λmax में परिवर्तन आता है:

  • Bathochromic shift (Red shift): जब λmax बढ़ता है

  • Hypsochromic shift (Blue shift): जब λmax घटता है

यह परिवर्तन सॉल्वेंट की ध्रुवीयता के कारण होता है।

उपकरण एवं रसायन (Apparatus and Chemicals):

क्र. सामग्री
1. UV-visible स्पेक्ट्रोफोटोमीटर
2. क्वार्ट्ज क्यूवेट (1 सेमी पथ लंबाई)
3. एसिटोन (उदाहरण यौगिक)
4. सॉल्वेंट: जल, एथेनॉल, हेक्सेन
5. माइक्रोपिपेट, ड्रॉपर, टिशू पेपर

प्रयोग विधि (Procedure):

  1. एसिटोन के तीन घोल तैयार करें — एक जल (Water), एक एथेनॉल (Ethanol), और एक हेक्सेन (Hexane) में।

  2. प्रत्येक घोल को क्वार्ट्ज क्यूवेट में भरें (बिना बबल के)।

  3. UV-visible स्पेक्ट्रोफोटोमीटर को ऑन करें और 200–400 nm की रेंज सेट करें।

  4. प्रत्येक क्यूवेट को मशीन में डालें और संबंधित विलायक को ब्लैंक के रूप में प्रयोग करें।

  5. स्पेक्ट्रा स्कैन करें और अधिकतम अवशोषण तरंगदैर्ध्य (λmax) नोट करें।

  6. सभी सॉल्वेंट्स के लिए λmax का तुलनात्मक रिकॉर्ड बनाएँ।

परिणाम (Observation Table):

सॉल्वेंट λmax (nm) परिवर्तन प्रकार (Shift Type)
जल (Water) 272 — (संदर्भ मान)
एथेनॉल 278 Bathochromic shift (Red shift)
हेक्सेन 265 Hypsochromic shift (Blue shift)

निष्कर्ष (Conclusion):

अवशोषण तरंगदैर्ध्य (λmax) सॉल्वेंट की ध्रुवीयता से प्रभावित होता है।
ध्रुवीय सॉल्वेंट्स जैसे एथेनॉल, यौगिक के π→π* संक्रमण को स्थिर करते हैं जिससे λmax बढ़ता है (bathochromic shift)।
कम ध्रुवीय सॉल्वेंट जैसे हेक्सेन, यह संक्रमण अस्थिर करते हैं जिससे λmax घटता है (hypsochromic shift)।
इस प्रकार, सॉल्वेंट चयन स्पेक्ट्रोस्कोपिक विश्लेषण में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

सावधानियाँ (Precautions):

  1. क्यूवेट को केवल किनारे से पकड़ें; उंगलियों के निशान या धूल न लगने दें।

  2. सॉल्वेंट्स शुद्ध और ताजे प्रयोग करें।

  3. माप से पहले स्पेक्ट्रोफोटोमीटर को ठीक से शून्य (zero) करें।

  4. प्रत्येक माप से पहले क्यूवेट को साफ और सूखा करें।

  5. स्पेक्ट्रा लेते समय क्यूवेट में कोई बबल न हो।

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